Licence-अनुज्ञप्ति

 

Linence under Section 52 of the Indian Easement Act 1882

Hello दोस्तो आज हम और आप विस्तार से जानेगे कि Licence – अनुज्ञप्ति under Section -52 of  the  Indian Easement Act 1882 में क्या है, इसकी क्या विशेषता है, Licence के प्रकार, कौन Licence या अनुज्ञप्ति को दे सकता है, कौन अनुज्ञप्ति को Transfer कर सकता है, कौन इसे Revoke (बापस ले) सकता है और Licence के दोष प्रकट करने का Licensor का कर्तव्य।और अनुज्ञप्ति का समाप्त किया जाना तथा महत्वपूर्ण बाद इत्ययदि। Licence या अनुज्ञप्ति समपत्ति में एक विशेषाधिकार है और यह एक व्यक्तिगत विशेषाधिकार है और इस अधिकार Transfer नहीं किया जा सकता है और न ही इस अधिकार को पीढी-दर-पीढी दिया जा सकता है। Licence या अनुज्ञप्ति को Easement नहीं कह सकता है। यह विषय-बस्तु में हित प्रदान नहीं करता है। सामान्यत Licence को बापस लिया जा सकता है इस अधिकार को एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति को Property उपभोग करने के लिए विवक्षित रूप से दी जाती है। अनुज्ञप्ति को Indian Easement Act 1882 के Chapter -6 में और Section -52-64 तक दिया गया है। दूसरे शब्दों में कहा जासकता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी सम्पत्ति का निरपेक्ष स्वामी  होता है। वह अपनी सम्पति का सभी  प्रकार से उपयोग व उपभोग करने के लिये स्वतंत्र होता है। कोई भी अन्य व्यक्ति उसके इस अधिकार में illegal तरीके से न तो हस्तक्षेप कर सकता है और न उसकी सम्पत्ति में कोई प्रवेश कर सकता है।और यदि कोई व्यक्ति उसकी ऐसी सम्पत्ति में illegal रूप से प्रवेश करता है या हस्तक्षेप करता है तो वह कानून द्वारा दण्डित किया जाता है। लेकिन समान्य व्यवहार में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की सम्पत्ति में प्रवेश भी करता है और उसका उपयोग उपभोग भी।अर्थात् दूसरे की सम्पत्ति में प्रवेश एवं उसका Use of enjoyment उसके Owner  की अनुमति से किया जाता है। Owner  की अनुमति न होने पर ऐसा प्रत्येक कार्य illegal माना जाता है। इसलिए ऐसे सभी कार्यों या सम्पत्ति को नियमित करने के उद्देश्य से  कई प्रकार के Law  बनाये गये है एवं उसमें से Licence या अनुज्ञप्ति भी एक Law है।

Section – 52.Licence- अनुज्ञप्ति की परिभाषा:

जहाँ एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपनी भूमि में कुछ ऐसे कार्य करने की अनुमति देता है जो कि यदि ऐसी अनुमति  न दी गई होती तो वह विधि के विरूध होता। इस प्रकार Licence या अनुज्ञप्ति किसी व्यक्ति को अन्य व्यक्ति की भूमि पर कुछ करने या करते रहने  के लिये अधिकृत करती है। ऐसा अधिकार सुखाधिकार  या सम्पत्ति हित अधिकार नहीं है। वहां ऐसा अधिकार अनुज्ञप्ति कहलाता है।

Section-52.Licence-अनुज्ञप्ति की परिभाषा के आवश्यकतत्व:-

  • दो पक्षकार होने चाहिए ( Licensor और Licensee)
  • Licensor ने अपनी सम्पत्ति को Licensee दी हो
  • Licensor ने अपनी सम्पत्ति को Licensee को कुछ करने या कुछ करते रहने का अधिकार दिया हो जिसका किया जाना ऐसे अधिकार के अभाव में, कुछ करने या कुछ करते रहना illegal होगा
  • ऐसा दिया गया अधिकार सुखाधिकार या सम्पत्ति में हित अधिकार नहीं होना चहिए।

       पी० पेरुमाल नायडू बनाम कृष्णास्वामी नायडू AIR 1998 मद्रास 148 के मामले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा यह कहा गया है           कि जहाँ पक्षकारों के बीच हुए विभाजन के करार के अन्तर्गत पक्षकारों को कतिपय अधिकार दिये जाते हैं यहाँ उन्हें अनुप्ति  नहीं दी जा             सकती।यह Judgement आप के पढने के लिये Indiankanoon से ली गयी  है।

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Licence-अनुज्ञप्ति की विशेषताएँ:-

उपर्युक्त दी गई परिभाषा और आवश्यकतत्वों का आधार पर कुछ अनुज्ञप्ति की  विशेषताएँ भी है जो निम्नलिखित प्रकार से दी गई है-

  1. अनुज्ञप्ति भूमि Ownership से सम्बन्धित नहीं है -अनुज्ञप्ति का भूमि के स्वामित्व से कोई सम्बन्ध नहीं होता। इससे तो केवल एक व्यक्तिगत अधिकार का सृजन होता है। अतः यह किसी अन्य व्यक्ति को सौंपा नहीं जा सकता। अर्थात् यह एक वैयक्तिक अधिकार है जिसका हस्तान्तरण नहीं किया जा सकता। Licensee को अचल सम्पत्ति पर कोई स्वामित्व या मलिकाना हक प्राप्त नही होता उदाहरण के लिए– A मकान मालिक ने अपना मकान B व्यक्ति  को Agent की हैसियत से रहने के लिये दिया। A मकान मालिक ने उस मकान का Possession प्राप्त करने के लिये बाद संस्थित किया। यहां B Agent  Licence या अनुज्ञप्ति का तर्क नहीं दे सकता है।इसी प्रकार कोनराड डायस ऑफ बम्बई बनाम जोसफ डायस ऑफ बम्बई ” AIR1995 बम्बई 210 के मामले में बम्बई उच्च न्यायालय ने यह कहा कि जहाँ कई व्यक्ति अपने पिता के साथ मकान में रह रहे हो, वहाँ वे Licensee के रूप में विधिक हैसियत  का दावा नहीं कर सकते हैं क्योंकि वे मात्र एक परिवार के सदस्य के रूप में उस मकान में रह रहे थे, इससे अधिक उनकी कोई प्रास्थिति नहीं बनती है।यह Judgement आप के पढने के लिये Indiankanoon से ली गयी  है।
  2. Licensor की इच्छा पर समाप्त की जा सकती है— अनुज्ञप्ति का अधिकार स्वीकृति से उत्पन्न होता है, अतः Licensor अपनी इच्छानुसार,  इसे कभी भी समाप्त कर सकता है। यहां पर यह भी बताना आवश्यक है कि Licensee की मृत्यु के साथ-साथ ही  Licence या अनुज्ञप्ति का अधिकार समाप्त हो जाती है। जहाँ अनुज्ञप्ति के समाप्त होने पर, यदि अनुज्ञप्ति शुल्क स्वीकार कर लिया जाता है तो वहाँ इसे अनुज्ञप्ति की समयावधि में विस्तार मात्र माना जायेगा। यहां पर न तो स्वामी को प्राप्त Dispossession  करने का अधिकार समाप्त होता है और न ही Licensee की स्थिति अतिक्रमी की हो जायेगी। यदि Licensee अनुज्ञप्ति की शर्तों का उल्लंघन करता है तो Licensee को सम्पति से Dispossession किया जायेगा।
  3. यह कार्यों को वैध बनाती है—अनुज्ञप्ति केवल किसी ऐसे कार्य को वैध बनाती है जो इसके बिना अवैध होता है। अर्थात् यह सम्पत्ति पर कोई कार्य करने की अनुमति देती है।
  4. यह एक स्वीकारात्मक अधिकार है और यह  नकारात्मक अधिकार नहीं है—- Agreement किसी व्यक्ति को सकारात्मक अधिकार प्रदान करती है, नकारात्मक नहीं। अर्थात् यह किसी कार्य को करने के लिये प्रदान की जाती है, नहीं करने के लिए नहीं। (5) हस्तांतरणीय और दाय योग्य नहीं- अनुज्ञप्ति एक व्यक्तिगत अधिकार होता है, अतः यह न तो हस्तांतरणीय (Transferable) होता है और न दाय-योग्य (Heritable)।

यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि किसी अनुज्ञप्ति का एक बार नवीनीकरण कर दिये जाने पर उसे आगे  हमेशा के लिये नवीनीकृत किये जाने का अधिकार नहीं मिल जाता। यदि पक्षकारों के बीच हुए लिखित करार में ऐसी कोई शर्त अथवा निबन्धन नहीं है तो Agreement  के नवीनीकरण (renewal) का दावा नहीं किया जा सकता है।

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KIND OF LICENCE :अनुज्ञप्ति के प्रकार:-

अनुज्ञप्ति दो प्रकार की होती है—

  1. BARE LICENCE मूलभूत अनुज्ञप्ति: विशुद्ध रूप से एक व्यक्तिगत विशेषाधिकार (Privilege) होता है तथा जिसके साथ-साथ कोई अनुदान या स्वार्थ रहता है, लेकिन यह भूमि से सम्बद्ध नहीं हो सकता। उदाहरणार्थ, एक झील के विशिष्ट भाग में से मछली पकड़ने तथा उसको ले जाने का अधिकार उस भूमि में प्रवेश करने की अनुमति के साथ-साथ मछली पकड़ने तथा ले जाने का अनुदान भी है।
  2. EXCLUSIVE LICENCE अनन्य अनुज्ञप्ति:  — वह है जिसके अन्तर्गत एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को कोई कार्य विशेष करने की अनुमति देता है तथा किसी दूसरे व्यक्ति को ऐसी अनुमति नहीं देने का वचन देता है। जहाँ किसी अनुज्ञप्ति विलेख में ‘किराये का उल्लेख किया गया हो, वहाँ ऐसे किराये के उल्लेख मात्र से संव्यवहार की प्रकृति में परिवर्तन नहीं हो जायेगा।

कौन LICENCE -अनुज्ञप्ति दे सकेगा:-

अनुज्ञप्ति कौन दे सकता है, यह Indian Easement Act- 1882 की Section -53-54 दिया गया है।

  1. अनुज्ञप्ति किसी व्यक्ति के द्वारा उन्ही परिस्थितियों में तथा उसी विस्तार पर दी जा सकती है, जिस तक वह अपनी सम्पति में हित का Transfer कर सकता है।(Section-53)
  2. अनुदान अभिव्क्त तथा विवक्षित हो सकता है।( Section -54)

क्या अनुज्ञप्ति अन्तरण Transfer  हो सकता:-

अनुज्ञप्ति के अन्तरण के सम्बध में Indian Easement Act- 1882 के Section -56 दिया गया है।

  1. Licence -अनुज्ञप्ति एक व्यक्तिगत विशेषाधिकार है यह किसी व्यक्ति को उसी की व्यक्तिगत योग्यता, क्षमता तथा सामर्थ के आधार पर दिया जाता है और यह Transferable नहीं होता है।
  2. Licence -अनुज्ञप्ति एक व्यक्तिगत विशेषाधिकार है इसलिए इसका उपयोग Licensee का Servant या Agent नहीं कर सकते है।
  3. प्रतिकूल आशय के अभाव में, यदि Public Entertainment का कई स्थल है तो उस स्थति में अनुज्ञप्ति Transferable हो सकती है

क्या अनुज्ञप्ति प्रतिसंहरण Revocation हो सकता:-

अनुज्ञप्ति के प्रतिसंहरण के सम्बध में Indian Easement Act- 1882 के Section -60,61,62 में दिया गया है। Licensor अनुज्ञप्ति का प्रतिसंहरण (Revocation) कर सकता है(Section-60), प्रतिसंहरण प्रत्यक्ष या विवक्षित हो सकता है(Section-61) यहां पर निम्नलिखित अनुज्ञप्ति प्रतिसंहरण योग्य नहीं है।

  1. यदि ऐसी अनुज्ञप्ति केसाथ सम्पति के अन्तरण भी जुडा हो और ऐसा अन्तरण प्रर्वतन में है
  2. यदि ऐसी Licensee ने अनुज्ञप्ति विश्वास पर कोई स्थायी ढग का कार्य कर लिया है और ऐसे कार्य में  Money भी वयय किया है।

अनुज्ञप्ति का प्रदान किया जाना-

अनुज्ञप्ति किसी भी व्यक्ति द्वारा उस सीमा तक, जिस सीमा तक उसे सम्पत्ति
में अपने हितों का हस्तान्तरण करने का अधिकार है, प्रदत्त की जा सकती है। यह या तो अभिव्यक्त रूप से प्रदान की जा सकती है या फिर विवक्षित(implied) रूप से ।

दोष प्रकट करने काLicensor का कर्तव्य –

अनुज्ञप्ति प्रदाता का यह कर्तव्य है कि वह अनुज्ञप्ति से प्रभावित सम्पत्ति के ऐसे दोष को अनुज्ञप्तिग्रहीता को प्रकट कर दे-

(i) जो Licensee की जानकारी में न हो;

(ii) जो अनुज्ञप्ति प्रदाता की जानकारी में हो;

(iii) जो Licensee के शरीर या सम्पत्ति के लिये संकटापन्न हो। (धारा57)

यदि वह ऐसा करने में असफल रहता है और उससे अनुज्ञप्तिग्रहीता को कोईसारभूत क्षति कारित होती है तो प्रदाता के विरुद्ध ऐसी क्षतिपूर्ति के लिये वाद लायाजा सकेगा।

अनुज्ञप्ति का समाप्त किया जाना-

अनुज्ञप्ति को दो अवस्थाओं में समाप्त किया जा सकता है

(i)जब अनुज्ञप्ति के साथ सम्पत्ति का Transfer भी  जुडा हो और ऐसा  transfer  लागू हो  तथा

(ii) जब अनुज्ञप्तिधारी ने अनुज्ञप्ति के विश्वास पर कोई स्थायी प्रकृति का कार्य कर लिया हो और ऐसे कार्य में धन व्यय किया गया हो।(धारा60)
ऐसा निरसन अभिव्यक्त या उपलक्षित हो सकता है।

महत्वपूर्ण  बाद-

टी० के० वी० सरस्वती बनाम भारत टैक्सटाइल, कन्नूर, AIR  1992 Kerala 219.Read Judgement

जयनारायण बनाम रामनारायण, AIR  1989 Allahabad 182.Read Judgement

ए० सरोजिनी बनाम मो० सैनुलाबुद्दीन,AIR  1990 Kerala 248.Read Judgement

श्रीमती सुधा एस० अल्वा बनाम श्रीमती संजीवी आर० सेट्टी, AIR 1996 Karnataka5. Read Judgement 

सम्पत्ति के जीवनपर्यन्त उपयोग के लिये अनुदत्त अनुज्ञप्ति ऐसी सम्पत्ति के विक्रय द्वारा हस्तान्तरण पर विखण्डनीय हो जाती है।

साहब राम बनाम बनारसी, AIR  1997 Allahabad 22. Read Judgement

लेकिन यदि कोई Licensee, Licensor  की अनुमति से सम्पत्ति पर कोई स्थायी प्रकृति का निर्माण कार्य कराता है तो ऐसी अनुज्ञप्ति अविखण्डनीय होती है।

सूरज प्रकाश बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया,AIR  1998 Delhi 236.Read Judgement

निष्कर्ष:

इस पूरे लेख में  Licence- अनुज्ञप्ति से सम्बन्धित पहलुओं की विस्तत तथ्यों की जनकारी  प्रदान करने का पूरा प्रयास किया गया है ।अनुज्ञप्ति एक सीमित व्यक्तिगत  विशेषाधिकार है जो किसी व्यक्ति को अपनी सम्पत्ति पर कुछ करने या कुछ करते रहने का सीमितअधिकार देता है। अनुज्ञप्तिधारी का सम्पत्ति के स्वामित्व से कोई सम्बन्ध नहीं होता।अनुज्ञप्ति हस्तान्तरणीय नहीं होती।अनुज्ञप्तिधारी अपने नाम से कोई बाद  संस्थित नहीं कर सकता  है।

FAQ:

Q: सुखभोग के तहत लाइसेंस क्या है?

Ans: लाइसेंस-अनुज्ञप्ति  को  Section -52 of  the  Indian Easement Act 1882  में परिभाषित किया गया है “एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को अपनी भूमि में कुछ ऐसे कार्य करने की अनुमति देना जो कि यिद उस अनुमति के अभाव में किया जाता तोअवैध होता”

Q:What is the concept of license?

Ans: लाइसेंस एक ऐसी official permission है जो किसी  व्यक्ति को  वह कार्य  करने की अनुमति देती है  जिसके लिए उस ऐसा लाइसेंस दिया गया हैै।

Q: सुखभोग अधिनियम के तहत लाइसेंस कौन दे सकता है?

Ans:धारा -53  “Indian Easement Act 1882”  में  कौन लाइसेंस-अनुज्ञप्ति  दे सकता है  को  बताया गया है “लाइसेंस किसी भी व्यक्ति द्वारा उस सीमा तक दिया जा सकता है जिस सीमा तक वह उस सम्पति में Transfer का अधिकार रखता है”।

Q:लाइसेंस कैसे निरस्त किया जाता है?

Ans:धारा 61 “Indian Easement Act 1882”  में  कैसे  लाइसेंस-अनुज्ञप्ति  को निरस्त जा सकता है  के बारे में  बताया गया है “लाइसेंस को  अभिवयक्त ( Express)या विवक्षित (Implied) तरके से निरस्त कर सकते है । यह लिखित, मौखिक या आचरण द्वारा भी निरस्त कर सकते है।लाइसेंस-अनुज्ञप्ति को बिना पूर्व सूचना के भी किया जा सकता है।”

Q:What is Section 63 “Indian Easement Act 1882”?

Ans: Section 63 “Indian Easement Act 1882″में Licensee को सुरक्षा प्रदान की गयी है इस धारा के तहत  Licensor जब भी लाइसेंस को समाप्त करता है तो  Licensor का यह कर्तव्य है कि वह Licensee को अपना सामान हटाने का Reasonable Time दे। धारा 63 साम्या, न्याय एवं शुध्द अन्तकरण ( Equity, Justice and Good Conscience) के सिध्दात पर आधारित है।

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