Difference Between License-Easement-Lease लाइसेंस-सुखाधिकार-लीज के बीच क्या अंतर

Difference Between License- Easement-Lease

Hello दोस्तो आप का स्वगत है Law Articles..in में, आज हम विस्तार से  जानेगे कि  Difference Between License-Easement-Lease लाइसेंस-सुखाधिकार-लीज के बीच क्या अंतर  होता है, जहाॅं तक लाइसेंस की बात है तो जब किसी व्यक्ति को विशेष उपयोग के लिए किसी विशेष संपत्ति का उपयोग करने का अधिकार  जिस को दिया जाता है उस व्यक्ति Licensee कहते हैजबकि जिस व्यक्ति के पास संपत्ति नियंत्रण होता है या जो संपत्ति का मालिक होता है, तो उस संपत्ति के मालिक को Licensor कहा जाता है । एक व्यक्तिगत व सीमित अधिकार होता है यह अधिकार हस्तान्तरण योग्य नहीं होता है।Licensee को अचल सम्पत्ति पर कोई स्वामित्व या मलिकाना हक प्राप्त नही होता ।अनुज्ञप्ति का अधिकार स्वीकृति से उत्पन्न होता है, अतः Licensor अपनी इच्छानुसार, लाइसेंस को कभी भी समाप्त कर सकता है। यहां पर यह भी बताना आवश्यक है कि Licensee की मृत्यु के साथ-साथ ही  Licence या अनुज्ञप्ति का अधिकार समाप्त हो जाती है। जहाँ अनुज्ञप्ति के समाप्त होने पर, यदि अनुज्ञप्ति शुल्क स्वीकार कर लिया जाता है तो वहाँ इसे अनुज्ञप्ति की समयावधि में विस्तार मात्र माना जायेगाऔर कुछ नही। जबकि  जहाॅं तक सुखाधिकारकी बात है तो यहाॅं एक संपत्ति का मालिक अपनी संपत्ति का उपभोग लेने के लिए, दूसरे मालिक की संपत्ति पर कुछ करने या कुछ करते रहने का अधिकार प्राप्त करता है, इस अधिकार को सुखाधिकार कहते है।वह भूमि जिसके हितकर उपभोग के ऐसा स्वत्व विद्यमान है अधिभावी सम्मति (Dominant heritage) कहलाती है और उसका स्वामी अधिभावी स्वामी(Dominant owner ) कहलाता है।वह सम्मति जिस पर कुछ दायित्व आरोपित किये जाते है उसे अधिसेवी सम्मति ( Servient heritage) कहलाती है और उसके स्वामी को अधिसेवी स्वामी (Servient owner) कहलाता है जबकि लीज-पट्टे एक Agreement है और पट्टे में पट्टाग्रहीता को सम्पत्ति में  पूर्ण हित एवं अनन्य हित प्रदान किये जाते हैं।पट्टे के हित किसी तीसरे व्यक्ति  को हस्तान्तरित किये जा सकते हैं।

लाइसेंस-सुखाधिकार-लीज की परिभाषाऐं:Deffinations of License-Easement-Lease:

License लाइसेंस: “भारतीय सुखाधिकार अधिनियम, 1882” की धारा 52में लाइसेंस परिभाषित किया गया है।धारा 52 के अनुसार-

“जहाॅं एक व्यक्ति दूसरे को या अन्य व्यक्तियों की किसी निश्चित संख्या को प्रदाता  की अचल संपत्ति में या उस पर कुछ  ऐसी कार्य करते रहने का अधिकार देता है जो इस तरह के अधिकार के अनुपस्थित  में वह कार्य अवैध होगा और ऐसा अधिकार किसी सुखाधिकार या संपत्ति में किसी हित के बराबर नहीं है यह अधिकार  लाइसेंस याअनुज्ञप्ति  कहालाता है।”

Easement सुखाधिकार: भारतीय सुखाधिकारअधिनियम, 1882″की धारा 4 में लाइसेंस परिभाषित किया गया है।धारा 52 के अनुसार-

एक सुखाधिकार एक ऐसा अधिकार है जो उस भूमि के मालिक या कब्जेदार के पास होती है, जो उस भूमि के लाभकारी आनंद के लिए  कुछ करने या उसे जारी रखने के लिए या किसी को कुछ करने से रोकने  के लिए अन्य की भूमि के संबंध में अधिकार रखता है जो भूमि उसकी अपनी नहीं है। दूसरे शब्दों में-जब एक संपत्ति का मालिक अपनी संपत्ति का उपभोग लेने के लिए, दूसरे मालिक की संपत्ति पर कुछ करने या कुछ करते रहने का अधिकार प्राप्त करता है, इस अधिकार को सुखाधिकार कहते है।

उदाहरण के लिए– A व्यक्ति का मकान दो बडी Building का बीच है में बना हुआ है और A का मकान Plot के Back Side में है जबकि  Plot के Front side की जमीन खाली पडी थी।  A  Road  तक  आने के लिये,  अपने Front side की खाली पडी जमीन से बने रास्ते से Road पर आता था। कुछ साल बाद A के मकान  के Front side की खाली जमीन को B खरीद लेता है। उस Plot का Front side, Road तक आता है। अब जब B अपना मकान Front side की खाली जमीन पर अपना मकान बनाएगा तो उसे A को  Road तक आने का ऱास्ता देना होगा।

Dominant Owner: यहं पर A व्यक्ति का मकान Plot के Back Side में बना था और B अपनी Front side की भूमि पर से A को Road तक आने का रास्ता देता है जिससे A को अपने मकान का Use करने का Right मिल जाता है यहां पर A को Dominant Owner कहा जाता है।

Servient Owner:-जबकि  B अपनी भूमि पर से A को Road तक आने का रास्ता देता है यहां पर B को Servient Owner कहा जाता है।

Dominant Property:-यहां पर A व्यत्ति जो Beneficiary है और B से Road तक आने का रास्ता पाता है यहां A  की Property को Dominant Property  कहा जाता है।

Servient Property:-यहां पर B अपनी भूमि पर से A को Road तक आने का रास्ता देता है यहां पर B की Property को Servient Property कहा जाता है।

Lease लीज-पट्टे  :

पट्टे की परिभाषा “सम्पत्ति अन्हतरण अधिनियम ” की धारा 105 में दी गई है। इस धारा के अनुसार-“A lease is a transfer of a right to enjoy immovable property made for a certain time, express or implied or in perpetual consideration of a price paid or promised.” अर्थात्-“पट्टा अचल सम्पत्ति के उपयोग के अधिकार का एक निश्चित काल के लिये अभिव्यक्त या उपलक्षित रूप में या स्थायी रूप में प्रदत या माने हुए मूल्य आदि के मूल्य के आधार पर हस्तान्तरण है।”

लाइसेंस एवं सुखाधिकार में अन्तर-Difference Between License & Easement:

सामान्य लाइसेंस एवं सुखाधिकार में कुछ समानताएँ पाई जाती हैं, लेकिन वस्तुतः इन दोनों में अन्तर अधिक है। लाइसेंस सुखाधिकार से भिन्न है तथा यह उसकी परिभाषा में सम्मिलित नहीं है।

(1)लाइसेंस एक विशुद्धतः वैयक्तिक विशेषाधिकार है जिसका सम्पत्ति के स्वामित्व से कोई सम्बन्ध नहीं होता। जबकि                                            सुखाधिकार Easement एक ऐसा अधिकार है जिसका अचल सम्पत्ति से सम्बन्ध होता है।

(2) लाइसेंसअनुमति द्वारा दी जाती है। जबकि सुखाधिकारEasement स्वीकृति द्वारा प्रदत्त होता है।

(3) लाइसेंस हस्तान्तरणीय नहीं होती। केवल मनोरंजन के स्थान में प्रवेश इसका एक अपवाद है।  जबकि  Easement सुखाधिकार सम्पत्ति के हस्तांतरण के  साथ-साथ हस्तांतरणीय होता है।

(4)लाइसेंस अचल सम्पत्ति में किसी प्रकारके हित सृजित नहीं करती। अतः अनुज्ञप्तिधारी अपने नाम से कोई बाद  संस्थित करने काअधिकारी नहीं होता।  जबकि  सुखाधिकारEasement से अचल सम्पत्ति में हित सृजित होते है। अतः सुखाधिकारों  का अतिलंघन किये जाने पर अधिभावी    स्वामी या उस पर आधिपत्य रखने वाला व्यक्ति अपने नाम से बादसंस्थित कर सकता है।

(5)लाइसेंस एक स्वीकारात्मकअधिकार है, नकारात्मक नहीं। अर्थात् यह किसी कार्य को करने के लिये प्रदान की जाती है, नहीं करने के लिये नहीं। जबकि सुखाधिकार Easement सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकृति का होता है।

(6)लाइसेंस में, वह व्यक्ति जिसको अचल सम्पत्ति हस्तांतरित की गई है, अनुज्ञप्ति को मानने के लिये बाध्य नहीं होता।जबकिसुखाधिकार में सुखाधिकार हस्तांतरिती पर बाध्यकारी होता है।

लाइसेंस एवं सुखाधिकार के बीच अन्तर कापुरुषोत्तम दास कपूर बनाम नाथा अहीर 1975 ALJ 513 के बाद में विवेचन किया गया है। उदाहरण- यहाँ दो भाइयों के बीच में हुए बंटवारे में, बन्धुत्व, प्रेम और श्रद्धा के कारण किन्तु अधिकार के कारण नहीं, दूसरे के घर में से पानी ले जाने दिया गया। यह धारण किया गया कि जल लेने का अधिकार सुखाधिकार नहीं है, बल्कि यह एक अनुज्ञप्ति है।

 लीज- पट्टे और लाइसेंस में अन्तर -Difference Between Lease & License :

पट्टे (Lease)  की परिभाषा “सम्पत्ति हस्तान्तरण अधिनियम” (TPA) की धारा 105 में दी गई है।और लाइसेंस की परिभाषा “भारतीय सुखाधिकार अधिनियम, 1882” की धारा 52में  दी गयी है। लीज- पट्टे और लाइसेंस में भी अन्तर पाया जाता है।  इन धाराओं के अनुसार-

(1) पट्टे में पट्टाग्रहीता को सम्पत्ति में हित पूर्ण एवं अनन्य हित प्रदान किये जाते हैं।जबकि  लाइसेंस में सम्पत्ति में ऐसेप्रदत्त नहीं किये जाते।

(2)पट्टे में के हित किसी तीसरे व्यक्ति को हस्तान्तरित किये जा सकते हैं।जबकि लाइसेंसएक वैयक्तिक विशेषाधिकार है, अतः इसमें के हित किसी तीसरे व्यक्ति को हस्तान्तरित नहीं किये जा सकते।

(3) पट्टा विरासत में प्राप्त किया जा  सकता है। जबकि लाइसेंस विरासत में प्राप्त नहींकिया जा  सकता है।

(4) पट्टा निरसित किये जाने योग्य नहीं होता। जबकि लाइसेंस धारा 60 की दशाओं को छोड़कर निरसित की जा सकती है।

(5)पट्टाग्रहीता अनधिकृत प्रवेशकर्ता के विरुद्ध अपने नाम से बाद संस्थितकर सकता है जबकि लाइसेंसधारी अपने नाम से वाद संस्थित  नहीं कर सकता।

(6)पट्टे का भारतीय रजिस्ट्रीकरण अधिनियमआवश्यक होता है। जबकि लाइसेंस का रजिस्ट्रेशन आवश्यक नहीं होता।

लीज- पट्टेऔर लाइसेंस में अन्तर स्पष्ट करने वाला एक महत्वपूर्ण मामला है। अजब सिंह बनाम शीतल पुरी AIR 1993 इलाहबाद 138का, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह  अभिनिर्धारित किया है कि पट्टे में सम्पत्ति में हित का अन्तरण होता है जबकि लाइसेंस- अनुज्ञप्ति में ऐसा नहीं होता।यह Judgement आप के पढने के लिये Indiankanoon से ली गयी  है।

Read Judgement

निष्कर्ष- Conclusion License-Easement-Lease:

आज इस पूरे लेख में License-Easement-Lease लाइसेंस-सुखाधिकार-लीज के बीच क्या अंतर से सम्बन्धित पहलुओं की विस्तत जनकारी  प्राप्त करने का पूरा प्रयास किया गया है जबकि लाइसेंसऔर  सुखाधिकार और लीज -पट्टे में अन्तर को स्पष्ट करते हुए कहा जा सकता है कि लाइसेंस में हितों का अन्तरण नहीं होता। यह बात अलग है कि लाइसेंस में भूमि पर कब्जा करने का अधिकार अवश्य मिलता है।और जबकि सुखाधिकार अपनी भूमि का सही से प्रयोग करने के लिये किसी दूसरे की भूमि को अपने प्रयोग में लेने का अधिकार प्रदान कराता हैऔर जबकि  लीज -पट्टे  में हितों का अन्तरण होता है, जबकि कोई दस्तावेज पट्टा है या लाइसेंस है, इस बात का निर्धारण पक्षकारों के आशय के आधार पर किया जा सकता है।

 

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