POCSO Act in Hindi

 

दोस्तो प्रणाम   आज हम POCSO Act in Hindi  के बारे विस्तार जानेगे। पॉक्सो का फुल फाॅम है The Protection of Children From Sexual Offence Act,2012कहा जाता है। जिसे हिन्दीं  लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 या यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा  कहा जाता है बच्चे किसी भी देश का भविष्य होता है उनकेसंरक्षण सन् 2012 में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए एक विशेष कानून लाया गया जिसे पॉक्सो अधिनियम कहा जाता है। इस Act में बालकों के संरक्षण की बात की गयी है इस Act के तहर किसी भी प्रकार के लैंगिक अपराध से बालकों को संरक्षित किया जा रहा है। यहाँ बालक शब्द में Male और Female दोनों ही बालक आते है जो 18 वर्ष से कम आयु के है वे दोनों ही बालक है।चाहे वह लडका हो या लडकी हो। यह एक्ट 2012 में आया था तो क्या इससे पहले बच्चों के लिए कोई एक्ट नहीं था जिससे बालकों का संरक्षण किया जाता हो। लड़की (छोटी बच्चियों) के लिए तो IPC थी लेकिन लड़का (छोटा बच्चा) जो 18 वर्ष की आयु से कम का था और यदि उसके साथ कोई लैंगिक अपराध या गलत टच किया जाता था तो उसके लिए कोई Act नहीं था। इसीलिए सभी बालकों को लैंगिक अपराध से संरक्षित करने के लिए ही यह ऐक्ट 2012 में ला आया। लेकिन इस ऐक्ट के 2012 में लागू होने के बाद भी, ऐसे बालकों के साथ लैंगिक अपराधों में कमी नही आयी तो सन् 2019 में विधायिका को ऐसे अपराधों को रोकने के लिए, इस एक्ट में संशोधन करके दंड में बढ़ोत्तरी करनी पड़ी। जिससे ऐसे अपराधियों को कंट्रोल किया जा सके। पहले इस एक्ट में मृत्यदंड का प्रावधान नहीं था लेकिन 2019 से संशोधन के द्वारा मृत्यदंड का प्रावधान को जोडा गया है। यहाँ यह बताना भी महत्वपूर्ण होगा कि पॉक्सो कानून के तहत अपराध में बच्चे की सहमति का कोई मतलब नहीं है। पॉक्सो कानून सिर्फ पीड़ित बच्चे और बालिग अपराधियों के मामले में लागू होता है। अगर दो बच्चों आपस में यौन संबंध बनाते हैं या कोई बच्चा किसी यौन अपराध करता है उन मामलों में किशोर न्याय (बाल देखभाल और कानून 2000 )के प्रधान लागू होगे।पॉक्सो कानून में महिला और पुरुष दोनों अपराधी हो सकते हैं।हालांकि पॉक्सो कानून की धारा 16 कहती है कि इन दोनों अपराधों में भी महिला अपराध के लिए उकसाने में शामिल हो सकती है।

What is POSCO Act। POSCO Act 2012।POSCO Act।

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 या The Protection of Children From Sexual Offence Act,2012 (POCSO Act,2012)  कहा जाता है और यह Act सम्पूर्ण भारत में लागू होता है । यह बाल दिवस के अवसर पर 14 नवम्बर को  लागू किया गया। इस Act से सम्बध्ति  सामान्य जानकारी निम्नलिखित है-

  • इस Act में कुल अध्याय 9,
  • इस Act में कुल धारा 46,
  • इस Act की अधिनियम संख्या 32,
  • यह Act 19 जून, 2012,को स्वीक्रत हुआ,
  • यह एक्ट 14 नवम्बर 2012 में लागू किया गया,
  • इस एक्ट में 1अनुसूची है और
  • 2019 का संशोधन 16 अगस्त 2019 में लागू किया गयाहैं।

परिभाषाएँ:

इस अधिनियम की धारा2  (क) से (ड) तक परिभाषा खंण्ड है {Section 2(a)-(m)} इसमें कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ है जिसमें शब्दो को परिभाषित किया गया है जबकि अन्य शब्दो को परिभाषाओ में धाराओ  में  ही बर्णन किया गया है।

  • धारा 2(ग) सशस्त्र बल या सुरक्षा बल- से संघ केसशस्त्र बल या अनुसूची में यथाविनिर्दिष्ट सुरक्षा बल या पुलिस बल अभिप्रत है
  • धारा2(घ) बालक- से ऐसा कोई व्यक्ति जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम है, अभिप्रत है
  • धारा (घ क) बालक संबंधी अश्लील साहित्य-किसी बालक को सम्लित करके लैगिक संबंध बनाने का कोई द्रश्य चित्रण, फोटो, वीडियो, डिजिटल आक्रति आदि (धारा (घ क) को संशोधन 2019 में जोडा गया है)
  • धारा 2(ट) साझी ग्रहस्थी-जहाँ अपराध से आरोपित व्यक्ति बालक के साथ घरेलू नातेदारी में रहता है या रह चुका है

Definitions: Section 2(a)-(m)

  • Section 2(c) “armed forces or security forces” means armed forces of the Union or security forces or police forces, as specified in the Schedule.
  • Section 2(d) “child” means any person below the age of eighteen years;
  • Section 2(da) “child pornography” means any visual depiction of sexually explicit conduct involving a child which include photograph, video, digital or computer generated image indistinguishable from an actual child and image created, adapted, or modified, but appear to depict a child; (This Section 2(da) was added from amended 2019)
  • Section(k) “shared household” means a household where the person charged with the offence lives or has
    lived at any time in a domestic relationship with the child;

POCSO Act 2012

बालकों के विरुद्ध लैंगिक अपराध (अध्याय-2 धारा 3-12)

धारा3  प्रवेशन लैंगिक हमला (Penetrative Sexual Assault)

कोई व्यक्ति प्रवेशन लैंगिक हमला करता है यदि

(a) अपना लिंग किसी बालक के मुँह,योनि मूलमार्ग आदि में प्रवेश करता है या बालक से अपने या किसी और के साथ ऐसा करवाता है या

(b) किसी वस्तु को बालक के प्राइवेट पार्ट में डालता है या बालक से ऐसा करवाता है या

(c)  बालक के शरीर के किसी भाग को ऐसे छेडता है कि प्रवेशन किया  जा सके या बालक से ऐसा करवाता है या

(d) बालक के प्राइवेट पार्ट पर अपना मुँह लगाता है या बालक से अपने या किसी व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है।

धारा4 प्रवेशन लैंगिक हमला के लिए दण्ड ( Punishment for Penetrative Sexual Assault)

  1. धारा 4 में दण्ड को संशोधन 2019 के द्वारा बढाया गया है
  2. जो  कोई प्रवेशन लैंगिक हमला ( Penetrative Sexual Assault) कारित करेगा तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से  जिसकी अवधि 10 वर्ष से कम नहीं होगा जो अजीवन करावास तक की हो  सकेगी तथा जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
  3. यदि 16 वर्ष से कम आयु के बालक के साथ प्रवेशन लैंगिक हमला ( Penetrative Sexual Assault) का अपराध करेगा तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से  जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो अजीवन करावास तक की हो  सकेगी तथा जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा।

धारा5 गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला (Aggravated Penetrative Sexual Assault)

  • यदि कोई पुलिस अधिकारी होते हुए अपने अधिकार क्षेत्र में या कर्तव्य पालन में प्रवेशन लैंगिक हमला करता है या
  • यदि कोई सशस्त्र बल या  सुरक्षा बल  का सदस्य  होते हुए अपने अधिकार क्षेत्र में या कर्तव्य पालन के दौरान प्रवेशन लैंगिक हमला करता है या
  • कोई लोक सेवक ऐसा करता है या
  • कोई जेल, संरक्षण घर आदि का कर्मचारी या अधिकारी ऐसा करता है या
  • किसी अस्पताल का कर्मचारी ऐसा करता है या
  • किसी शैक्षणिक संस्था या धार्मिक संस्था का अधिकारी ऐसा करता है या
  • सामूहिक प्रवेशन लैंगिक हमला
  • किसी बच्चे पर हथियार या घातक पदार्थ का इस्तेमाल करना
  • बच्चे के नाजुक अंगों को नुक्सान पहुचाना या
  • बच्चे को सार्वजनिक रुप से निवस्त्र करना या नग्न करके प्रदर्शन करना आदि गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला (Aggravated Penetrative Sexual Assault) के अंतर्गत आता है।

धारा 6 गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमलाके लिए दण्ड (Punishment for Aggravated Penetrative Sexual Assault)

  1. धारा 6 में दण्ड को संशोधन 2019  के द्वारा बढाया गया है
  2. जो  कोई गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला (Aggravated Penetrative Sexual Assault) कारित करेगा तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से  जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगा जो आजीवन करावास तक की हो  सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। या मृत्यदंड से भी दण्डित किया जा सकेगा।

धारा 7 लैंगिक हमला (Sexual Assault)

  • बिना प्रवेशन कारित किया किसी बालक के प्राइवेट अंगों को स्पर्श करना या लैंगिक आशय से शरीरिक संपर्क।

धारा 8 लैंगिक हमला के लिए दण्ड ( Punishment for Sexual Assault)

  • जो  कोई  लैंगिक हमला (Aggravated Penetrative Sexual Assault) कारित करेगा तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से  जिसकी अवधि 3 वर्ष से कम नहीं होगा  किन्तु जो  5 वर्ष  तक की हो  सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

धारा9 गुरुतर  लैंगिक हमला (Aggravated Sexual Assault)

  • यदि कोई पुलिस अधिकारी होते हुए अपने अधिकार क्षेत्र में या कर्तव्य पालन में प्रवेशन लैंगिक हमला करता है या
  • यदि कोई सशस्त्र बल या  सुरक्षा बल  का सदस्य  होते हुए अपने अधिकार क्षेत्र में या कर्तव्य पालन के दौरान प्रवेशन लैंगिक हमला करता है या
  • कोई लोक सेवक ऐसा करता है या
  • कोई जेल, संरक्षण घर आदि का कर्मचारी या अधिकारी ऐसा करता है या
  • किसी अस्पताल का कर्मचारी ऐसा करता है या
  • किसी शैक्षणिक संस्था या धार्मिक संस्था का अधिकारी ऐसा करता है या
  • सामूहिक प्रवेशन लैंगिक हमला
  • किसी बच्चे पर हथियार या घातक पदार्थ का इस्तेमाल करना
  • बच्चे के नाजुक अंगों को नुक्सान पहुचाना या
  • बच्चे को सार्वजनिक रुप से निवस्त्र करना या नग्न करके प्रदर्शन करना आदि गुरुतर लैंगिक हमला (Aggravated  Sexual Assault) के अंतर्गत आता है

धारा 10 गुरुतर  लैंगिक हमला के लिए दण्ड (Punishment for Aggravated  Sexual Assault)

  • जो  कोई गुरुतर लैंगिक हमला (Aggravated  Sexual Assault) कारित करेगा तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से  जिसकी अवधि 5 वर्ष से कम नहीं होगा किन्तु जो  7 वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

धारा 11 लैंगिक उत्पीडन (Sexual Harassment)

  1. लैंगिक आशय से -कोई शब्द, ध्वनि, वस्तु, अंंगविक्षेप करना या बालक को ऐसा सुनने या देखने के लिए मजबूर करना
  2. लैंगिक आशय से -बालक से उसके शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करवान
  3. लैंगिक आशय से – बालक को अश्लील तरीके से मीडिया आदि में दिखाना
  4. लैंगिक आशय से  – बालक का इलेक्टरोनिक या अन्य माध्यम से पीछा करना
  5. लैंगिक आशय से- बालक से लैंगिक कार्य करवाकर उसकी फिल्म आदि बनाना
  6. लैंगिक आशय से-बालक को अश्लील प्रयोजन से लालच देना आदि

धारा 12 लैंगिक उत्पीडन के लिए दण्ड (Punishment for Sexual Harassment)

  • जो  कोई  लैंगिक उत्पीडन (Sexual Harassment)कारित करेगा तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से  जिसकी अवधि 3 वर्ष से तक की हो  सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग और उसके लिए दण्ड (अध्याय-3 धारा 13-15)

धारा 13अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग(Use of child for Pornographic purposes)

  • यदि कोई बालक का मीडिया, TV, इंटरनेट, विज्ञापन या अन्य किसी प्रकार सेअश्लील प्रयोजनों के लिए उपयोग करेगा या
  • बालक का अश्लील प्रदर्शन करवाएगा, वह इस धारा में दोषी होगा।

धारा14 अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग के लिए दण्ड( Punishment for Useing of child for Pornographic purposes)

  • जो  कोई  अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग(Use of child for Pornographic purposes)कारित करेगा यदि उतो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से  जिसकी अवधि 5 वर्ष से तक की हो  सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। दूसरे या द्वितीय दोषसिद्ध की  दशा में वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से  जिसकी अवधि 7 वर्ष से तक की हो  सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

धारा 15ः बालक को अन्तग्रस्त करने वाले अश्लील साहित्य के भण्डारण के लिए दण्ड- कोई व्यक्ति जो वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए बालक को अन्तग्रस्त करने वाले  किसी भी रुप में अश्लील सामग्री को भण्डारित करता है वह किसी भी प्रकार के कठोर कारावास से, जो 3 वर्ष तकका हो सकेगा या जुर्माने से या दोनो से दण्डित किया जाएगा।

अपराध का दष्प्रेरण और प्रयत्न  (अध्याय-4 धारा 16-18)

धारा 16 किसी अपराध का दुष्प्रेरण (Abetment of an Offence)

  • दुष्प्रेरण का यहाँ भी वही अर्थ है  जो धारा 107 दण्ड प्रकिया संहिता 1860(IPC) में दिया गया है,
  • IPC में दुष्प्रेरण का अपराध तीन प्रकार से होता है-
  • (1) किसी व्यक्ति को उकसाने के द्वारा (2) षडयन्त्र  के द्वारा (3) साशय सहायता द्वारा।

धारा 17  दुष्प्रेरण के लिए दण्ड ( Punishment for Abetment)

  • जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का दुष्प्रेरण करता है । दुष्प्रेरित कार्य दुष्प्रेरण के परिणाम स्वरुप किया जाता है। तो वह उस दण्ड से दण्डित किया जाएगा जो उस अपराध के लिए उपबंधित है।

धारा 18 किसी अपराध को करने के प्रयत्न के लिए दण्ड

  • अपराध के लिए उपबंधित कारावास का आधा या जुर्माना या दोनों

मामले की रिपोर्ट करने के लिए प्रकिया ( अध्याय 5 धारा19-23)

धारा 19 अपराधों की रिपोर्ट करना ( Reporting of Offences)

  • कोई भी व्यक्ति  ऐसे अपराध की रिपोर्ट विशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस से कर सकता है तो ये दोनों संस्थाएँ  ऐसी सूचना प्राप्त अपराध की रिपोर्ट अनावश्यक विलम्ब के बिना परन्तु 24 घण्टे के भीतर मामले को बालक कल्याण समिति या विशेष न्यायालय या सेशन न्यायालय में करेगा।

धारा 20 मामले को रिपोर्ट करने के लिए मीडिया, स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता( Oligation of Media, Studio and Photographic Facilities to report case)

  • मीडिया,  होटल, लाॅज, अस्पताल,स्टूडियो आदि, किसी बालक के लैगिक शोषण संबधी जानकारीविशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस  को उपलब्ध कराएगे।

धारा 21 रिपोर्ट में देरी या विफल रहने पर दण्ड( Punishment for Failure to Report or Record a Case)

  1. जो कोई धारा 19 या धारा 20 के अंतर्गत रिपोर्ट करने या जानकारी देने में देरी करेगा या विफल रहेगा वहव्यक्ति 6 माह का कारावस या जुर्माने या दोनों से दण्डित  किया जायेगा
  2. यदि किसी कम्पनी का भारसाधक व्यक्ति रिपोर्ट में देरी या जानकारी देने में विफल रहेगा तो वह1बर्ष के कारावास और जुमाने से दण्डित किया जाएगा।

धारा 22 मिथ्या परिवाद या मिथ्या सूचना के लिए दण्ड( Punishment for False Complaint or False Information)

  • किसी व्यक्ति का अपमान या मानहानि करने के आशय से, मिथ्या परिवाद करेगा या मिथ्या सूचना देगा। तो वह व्यक्ति 6 माह का कारावस या जुर्माने या दोनों से दण्डित  किया जायेगा।
  • यदि बालक के विरुद्ध झूठ परिवाद करेगा तो वह व्यक्ति 1वर्ष के कारावस या जुर्माने या दोनों से दण्डित  किया जायेगा।

धारा 23 मीडिया के लिए प्रक्रिया (Procedure for Media)

  1. कोई व्यक्ति किसी बालक के संबंध में  कोई मिथ्या रिपोर्ट सूचना आदि मीडिया में प्रसारित नहीं करेगा
  2. उस बालक का नाम,पहचान, पता आदि प्रकट नहीं किया जाएगा ।
  3. जब तक न्यायालय की आज्ञा न हो, कि ऐसा करना बालक के हित में है जो कोई इस धारा के उपबंधों का उल्लंघन करेगा
  4. तो वह  6 माह का कारावस या जुर्माने या दोनों से दण्डित  किया जायेगा।

बालक के कथनों को अभिलिखित करने के लिए प्रक्रिया ( अध्याय 6 धारा 24-27)

धारा 24 बालक के कथन को अभिलिखित करना (  Recording of Statement of Child)

  • उपनिरीक्षक की पंक्ति से अनयून किसी स्त्री पुलिस अधिकारी द्वारा

धारा 25मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन का अभिलेखन (  Recording of Statement of a Child  by Magistrate)

  • दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की  धारा 164 के अधीन मजिस्ट्रेट बालक के कथन को अभिलेखत करेगा।

धारा 27 बालक की चिकित्सीय परीक्षा ( Medical examination of a Child)

  • दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की  धारा 164 A के अधीन यदि पीडित बालिका है तो महिला डाक्टर द्वारा चिकित्सीय परीक्षा  की जाएगी।

विशेष न्यायालय  (अध्याय-7 धारा 28-32)

धारा 28 विशेष न्यायालयों का गठन

  • राज्य सरकार High Court  के Chief Justice से परामर्श  से सेशन न्यायालय को विशेष न्यायालय का दर्जा दे सकेगी।
  • यदि किसी किशोर न्यायालय को विशेष न्यायालय घोषित किया गया है तो वह इस धारा में विशेष न्यायालय होगा।
  • इस न्यायालय को IT Act के Section 67B के अधीन अपराध का विचारण करने की शक्ति होगी।

धारा 31 प्रक्रिया

  1. विशेष न्यायालय  की कार्यवाही दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के उपबंधों के अनुसार होगी
  2. विशेष न्यायालय को सेशन न्यायालय समझा जाएगा तथा
  3. इसमें अभियोजन संचालन करने वाले व्यक्ति को  लोक अभियोजन समझा जाएगा।

धारा 32 विशेष लोक अभियोजक

  • राज्य सरकार विशेष न्यायालय के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करगी।
  • वह व्यक्ति जिसने 7 वर्ष लक अधिवक्ता के रुप में विधि व्यवकाय किया हो विशेष लोक अभियोजक हो सकेगा।

विशेष न्यायालयों की प्रक्रियाऔर शक्तियाँ तथा साक्ष्य का अभिलेखन (अध्याय 8 धारा 33-38)

धारा 33 विशेष न्यायालयों की प्रक्रियाऔर शक्तियाँ

  1. विशेष न्यायालय किसी अपराध का संज्ञान परिवाद या पुलिस रिपोर्ट पर ले सकेगा।
  2. विशेष लोक अभियोजक बालक या अभियुक्ति की मुख्य प्रति या पुनः परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों को न्यायालय के समक्ष रखेगा।
  3. न्यायालय बालक के साथ संरक्षक, मित्र या नातेदार को आने की आज्ञा दे सकेगा।
  4. बालक को बार-बार न्यायालय  में नहीं बुलाया जाएगा।
  5. बालक की पहचान प्रकट नहीं की जाएगी, जब तक ऐसा करना बालक के हित में न हो।
  6. विचारण दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के अनुसार किया जाएगा।

धारा 35 बालक के साक्ष्य को अभिलिखित और मामले का निपटारा करने के लिए अवधि

  • विशेष न्यायालय  द्वारा अपराध का संज्ञान लिए जाने के 30 दिन के भीतर बालक का साक्ष्य अभिलिखित किया जायेगा।
  • विशेष न्यायालय  द्वारा अपराध का संज्ञान लिए जाने की तारीख से 1वर्ष के भीतर विचारण पूरा करेगा।

धारा 37 विचारण बंद कमरे में होगा

विचारण बंद कमरे में तथा बालक के माता-पिता या किसी विश्वासपात्र व्यक्ति की उपस्थित में होगा (धारा 37  को दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 धारा 237(2) और धारा 327(2) के साथ पढा जाता है)।

धारा38 बालक का साक्ष्य अभिलिखित करते समय किसी दुभाषिए या अनुवादक की सहायता ला जाएगी।

प्रकीर्ण (अध्याय-9 धारा 39-46)

धारा40

  • बालक इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए विधि व्यवसायी की सहायता ले सकता है।
  • बालक का कुटुम्ब या संरक्षक अधिवक्ता नियुक्त करने में असमर्थ है तो उन्हें अधिवक्ता विधिक सेवा प्राधिकरण उपलब्ध कराता है।

धारा41

जब किसी बालक की चिकित्सीय परीक्षा उसके माता-पिता या संरक्षक की सहमति से की जा रही है तो धारा 3-13 के उपबन्ध लागू नहीं होगे।

धारा 42 आनुकल्पिक दण्ड (Alternate Punishment) संशोधन 2013 द्वारा

एक व्यक्ति इस अधििनियम के अधीन अपराध किया है वही अपराध दण्ड प्रकिया संहिता 1860(IPC) के अंर्तगत भी दण्डनीय है तो व्यक्ति दोषो पाये जाने पर उसे जिस अधिनियम का दण्ड ज्यादा हो उससे दण्डिक किया जाएगा।

धारा 45 नियम बनाने की शक्तिः   केन्द्र सरकार

धारा 46 कठिनाइयों को दूर करने की शक्तिः केन्द्र सरकार

प्रमुख वादः

यह Judgment आपके पढने के लिए Indiankanoon  से लिया गया है

जरनैल सिंह बनाम हरियाणा राज्य,2013 SC

  • यदि बच्चे की उम्र 18 वर्ष से अधिक है तो POCSO Act,2012 लागू नहीं होगा।
  • स्कूल पंजिका में दर्ज अभिलेख बालक की आयु का निर्धारण करने में पर्याप्त है।                          Read Judgment

महान्यायवादी बनाम सतीश एवं अन्य 2021 SC

सर्वोच्च न्यायालय ने उच्चन्यायालय के उस निर्णय को सही नहीं माना जिसमें कहा गया था कि POCSO Act,2012 में अपराध के गठन के लिए त्वचा का संपर्क होना चाहिए।                  Read Judgment

निपुन सक्सेना बनाम भारत संघ2019 SC                                                                            Read Judgment

माडिया पीडित का नाम, पता प्रकट नहीं करेगी चाहे अपराध POCSO Act,2012 में हो या दण्ड प्रकिया संहिता 1860(IPC) में।

अलख आलोक श्रीवास्तव बनाम भारत संघ 2018 SC

POCSO के विचारण के लिए कोई महिला न्यायाधीश होनी चाहिए तथा य़ह विचारण 1वर्ष में पूरा हो जाना चाहिए।

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FAQ:

Q1: What is the punishment for POSCO?

Ans: इस कानून के  तहत  दोषियों को अधिकतम सजा मृत्यदंड  तक है। जो धारा 6 में सशोधन 2019 में किया गया और punishment को बढाकर मृत्यदंड तक कर दिया गया है। इस प्रकार हम कह सकते है कि  POCSO में punishment मृत्यदंड तक है।

Q2: What is the age  for POSCO ?

Ans: POCSO Act,2012 में बालक (लडका या लडकी) जिसकी  उम्र 18 वर्ष  से कम है  वह इस  Act के तहत आयेगा।

Q3: Where is  POSCO Act applicable ?

Ans: यदि बालक (लडका या लडकी) जिसकी  उम्र 18 वर्ष  से कम है  उस पर POSCO Act applicable होगा।

Q4:पास्को एक्ट कैसे लगता है?

Ans:यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा के लिए POSCO Act को लाया गया । जिसमें धारा 6 के तहत  मृत्यदंड तक  की सजा का प्रावधान है इस Act में जमानत होना काफी मुशकिल होता है।

Q5:पोक्सो की कौन सी धारा झूठी शिकायत करने की सजा का प्रावधान करती है?

Ans: धारा 22 में किसी व्यक्ति की अपमान या मानहानि करने के आशय से, मिथ्या परिवाद करेगा या मिथ्या सूचना देगा। तो वह व्यक्ति 6 माह का कारावस या जुर्माने या दोनों से दण्डित  किया जायेगा। और यदि बालक के विरुद्ध झूठ परिवाद करेगा तो वह व्यक्ति 1वर्ष के कारावस या जुर्माने या दोनों से दण्डित  किया जायेगा।

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